एशिया की सबसे बड़ी सूरत कपड़ा मंडी कोरोना काल में लगातार डेढ़ साल से घोर मंदी के हिचकौले खा रही है

सूरत: एशिया की सबसे बड़ी सूरत कपड़ा मंडी कोरोना काल में लगातार डेढ़ साल से घोर मंदी के हिचकौले खा रही है। मंदी भी इस कदर कि सूरत कपड़ा मंडी में ग्रे कपड़े का उत्पादन ढाई-तीन करोड़ मीटर प्रतिदिन से घटकर मात्र एक-सवा करोड़ तक रह गया है। ऐसे हालात में 40 हजार करोड़ के सालाना टर्नओवर वाली सूरत कपड़ा मंडी की आर्थिक व व्यापारिक स्थिति पूरी तरह से चरमराई हुई है। दक्षिण भारत में कोरोना महामारी का आतंक ज्यों का त्यों बरकरार है और केरल, तमिलनाडू व कर्नाटका के अलावा महाराष्ट्र में डेढ़ साल से व्यापार-धंधे चौपट है। कोरोना महामारी और कपड़ा कारोबार में घोर मंदी के दौर में सब तरफ से बिगड़े हुए हालात के बीच एक व्यापारिक आस की किरण इन दिनों फूटी अवश्य है। यह आस की किरण देश की सबसे बड़ी आबादी वाले प्रदेश उत्तरप्रदेश व बिहार से व्यापारिक उजाला फैला रही है। गतवर्ष कोरोना महामारी की एंट्री के पांच माह बाद भी उत्तर भारत के इन्हीं दो प्रदेशों ने सूरत कपड़ा मंडी को आर्थिक व व्यापारिक ऑक्सीजन मुहैया करवाई थी और एक बार फिर से दोनों प्रदेश चालू वर्ष में भी यह जिम्मेदारी निभाने को मानों तैयार खड़े हैं। सूरत कपड़ा मंडी का 30 फीसदी कपड़ा कारोबार उत्तरप्रदेश व बिहार राज्य की कपड़ा मंडियों कानपुर, बनारस, गोरखपुर, पटना, मुजफ्फरपुर आदि में होता है। दोनों प्रदेश में सालाना 12 हजार करोड़ का कपड़ा सूरत कपड़ा मंडी से बिकने पहुंचता है और इस वर्ष भी आठवें महीने के बीच 80 प्रतिशत कपड़े की सालाना बिक्री हो चुकी है। इसके ठीक दूसरी तरफ पूर्वी भारत की कोलकाता व रायपुर मंडी, पश्चिम भारत की पुणे व कोल्हापुर मंडी और दक्षिण भारत की हैदराबाद, चैन्नई व बेंगलुरू मंडी में अभी तक 30 फीसदी कपड़ा कारोबार भी नहीं हो पाया है, जबकि इन तीनों क्षेत्र में सूरत कपड़ा मंडी से सालाना 28 से 30 हजार करोड़ का कपड़ा बिकने पहुंचता है। इन सब हालात के बीच देशभर में आधी आबादी वाले महिला वर्ग तक साड़ी-ड्रेस आदि का कपड़ा पहुंचाने वाली सूरत कपड़ा मंडी को कोरोना काल में भी मात्र उत्तर भारत से ही आर्थिक व व्यापारिक संबल मिल रहा है, जिसे हजारों कपड़ा व्यापारी एक आस की किरण समान देख रहे हैं और मानकर बैठे हैं कि थर्ड वेव की आशंका निर्मूल साबित हुई तो धीरे-धीरे कोरोना से हालात सब जगह बदलेंगे और उन कपड़ा मंडियों में भी व्यापार प्रारम्भ होगा जहां फिलहाल सब बंद पड़ा है।