राष्ट्र चेतना समेत विभिन्न विषयों पर लोगों को जागरूक करने के लिए भाविका अब तक देश में 50 हजार किमी की यात्रा करने के साथ 300 से अधिक कार्यक्रम आयोजित कर चुकी है

सूरत। आयोध्याधाम में श्रीरामलला के मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को अब कुछ ही घंटे बाकी है, लेकिन देशभर में राममय माहौल देखने को मिल रहा है। श्रीराम मंदिर के निर्माण में कइयों का योगदान है, जो सदियों तक भुलाया नहीं जा सकता। योगदान करने वालों में सूरत की एक नन्हीं सी बालिका भाविका माहेश्वरी भी शामिल है। कथावाचक, मोटीवेटर भाविका ने अपनी कथाओं के जरिए 50 लाख रुपए की राशि इकठ्ठी कर श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट को दी है।

श्रीराम मंदिर के निर्माण लिए ट्रस्ट की ओर से वर्ष 2021 में समर्पण निधि इकठ्ठी की जा रही थी,तभी भाविका ने संकल्प किया और कथाओं के माध्यम से मंदिर निर्माण के लिए राशि इकठ्ठी करना शुरू किया। भाविका ने विभिन्न जगह पर एक दिवसीय रामकथा के आयोजन किए और 50 लाख रुपए की राशि इकठ्ठी की और यह राशि ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंदगिरी महाराज को समर्पित की। भाविका की कथा में बच्चों ने अपनी बचत गुल्लक को खाली कर मंदिर में समर्पण निधि दी 3200 करोड़ के समर्पण निधि कलेक्शन में 50 लाख की यह समर्पण निधि पहली एवम अपने आप में अनोखी थी, जिसमें इतनी कम आयु की बच्ची द्वारा गिलहरी प्रयास भारत की भावी पीढ़ी को प्रेरणा देने जैसा है।

आज जहां नई पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति एवम मोबाइल वेब सीरीज, रील के प्रति आकर्षित हो रही है, तब भाविका भारतीय संस्कृति को पूरे देश में बच्चों को नव प्रेरणा का उत्तम उदाहरण है। भाविका कोविड 19 की बीमारी के समय लोगों को डर दूर करने के लिए कोविड आइसोलेशन सेंटर में लोगों को आत्महत्या के विचारों से दूर रखने के लिए भी कई मोटिवेशनल कार्यक्रम आयोजित कर चुकी है। सेंट्रल जेल में 3150 कैदियों के लिए विचार शुद्धि कथा से लेकर मोबाइल एडिक्शन पर भी कार्यक्रम कर चुकी है।

भाविका ने पूरे देश में राष्ट्र चेतना एवम विभिन्न विषयों पर तीन साल में 50 हजार किलोमीटर का सफर कर 300 से ज्यादा कार्यक्रम किए हैं। भाविका एक लेखिका के रूप में तीन पुस्तकें लिख चुकी है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू , अमिताभ बच्चन समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री व अग्रणी लोग भाविका की प्रशंसा कर उसे प्रोत्साहित कर चुके हैं। कई मंत्रियों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी भाविका की पोस्ट अपलोड की है। वह कई राष्ट्रीय पुरस्कार के साथ ही इंटरनेशनल रामायण पुरस्कार भी जीत चुकी है।